फिल्ड का JE/SSE 24 घंटे के लिए जवाबदेह होता है, excluded category में डाला हुआ है, लेकिन उसे कुछ एक्स्ट्रा नहीं मीलता,
सेक्शन कंट्रोलर और अन्य नियंत्रकों को भत्ता मिलता है, राजधानी ट्रेन चलाने के लिए ड्राइवर को एक्स्ट्रा पैसे मिलते हैं, बहोत सारे लोगो को रिस्क अलाऊन्स मिलता है
आज कितने काम फिल्ड में हो रहे है, टेंडर हो रहे है, अम्रुत भारत के काम हो रहे है, एक SSE करोडो के काम देख रहा हैस लेकिन कोई अलाऊन्स नहीं, excluded category 24 घंटे की जिम्मेदारी लेकिन कोई अलाऊन्स नहीं ।
अब बताएं नर्स को नर्सिंग अलाउंस क्यों, वही तो उसका काम है। ड्राइवर का काम है गाड़ी चलाना, फिर गाड़ी चलाने के लिए एक्स्ट्रा अलाउंस क्यों। अगर बाकी लोगों को एक्स्ट्रा लोन दिया जा रहा है तो हमें भी मांगना चाहिए एक्स्ट्रा अलाउंस, उच्चतर वेतनमान, समयबद्ध पदोन्नति। हम वैकेंसी पर डिपेंड क्यों रहे। 10 साल JE मैं बिताने के बाद अब जाकर SSE बने। कुछ तो ऐसे भी SSE हो गए, जो उसे समय डायरेक्ट SSE मैं आए थे और SSE मैं ही रिटायर हो गए। यह क्या मजाक है। एक टेक्नीशियन 3 जो लेवल 2 में प्रवेश करता है और लेवल 6 तक जाता है, यानी चार प्रमोशन। JE/SSE के लिए क्या? परीक्षा दो। 5-6 वैकेंसी के लिए हजार लोग परीक्षा देते हैं। सीनियरटी भी डिविजन वाइज अलग-अलग। कौन कब प्रमोट होगा यह उसके हाथ में नहीं। तो फिर लेवल 7 की सीनियरिटी क्यों?
लेवल 6 की होनी चाहिए। जब वह RRB से आया तब से सीनियरिटी।
ग्रुप B का तो पता नहीं क्या होगा। लेकिन उच्चतम वेतन श्रेणी एवं अतिरिक्त अलाउंस तो मिलना ही चाहिए। टेंडर के कार्य के लिए भी मिलना चाहिए जैसे SF-5 की इंक्वारी के लिए मिलता है। टेंडर वर्क भी बहुत बढ़ गया है कभी कवच का टेंडर, कभी अमृत भारत का टेंडर, कभी वंदे भारत का टेंडर, और न जाने क्या-क्या। एक्सक्लूडेड कैटिगरी के लिए अलाउंस मिलना चाहिए।
आज ALP भी लेवल 2 में एंट्री करता है और लेवल 7 तक प्रमोट होता है। फिर भी उसको और प्रमोट करने के लिए ADEE/ADME के लिए एलिजिबल किया जाता है। क्या बात है। एक JE लेवल 6 में आता है और लेवल 7 तक जाता है। यानी कि केवल एक प्रमोशन। उसको दूसरे प्रमोशन के लिए परीक्षा देनी पड़ती है वह भी ड्राइवर से मुकाबला करना पड़ता है। ड्राइवर और LI दोनों जगह फॉर्म भर सकते हैं इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल में। क्यों भाई ऐसा क्यों? जब ALP लेवल 2 से लेवल 7 तक प्रमोशन लेने के बाद - ऑफिसर का प्रमोशन। परंतु एक इंजीनियर जो JE/SSE है वह अपनी सीनियरिटी के लिए चार बार रिप्रेजेंटेशन दे रहा है। काम भी करो और यह बोला जाता है कि डिप्रैस मत हो। हंसते खेलते काम करो। ज्यादा कम करो। जितना कम दे उतना कम करो परंतु दाम की बात मत करो।
एक ALP का क्वालिफिकेशन है ITI और वह सीनियर हो जाता है। जबकि हम Diploma/ B Tech है। यह क्या इज्जत दे रहा है रेलवे। वेतन की असमानता कितनी है ड्राइवर और JE/SSE में। हमसे ज्यादा वेतन है उनको, साथ में सुविधाएं भी। पहले AC का पास ड्राइवर को मिलता था लेकिन JE को नहीं। JE को AC के पास के लिए भी लड़ना पड़ा। वह भी रेवड़ियों की तरह सबको बांट दिया। तकनीकी कैडर की किसी की कोई परवाह नहीं है। 50% को लेवल 8 दिया, वह भी रेवड़ियों की तरह सबको बांट दिया। अंतर क्या है टेक्निकल कैडर का, 24 घंटे जिम्मेदारी का, हमारी पढ़ाई का, टेक्निकल एजुकेशन का। उससे अच्छा तो BA कर लेते। और जूनियर क्लर्क, सीनियर क्लर्क, कार्यालय अधीक्षक बनने के बाद चैन की नींद सोते। ना रात को फैलियर की चिंता, ना कार्य को पूरा करने की चिंता, ना कोई इंस्पेक्शन की चिंता, थे स्टाफ मैनेजमेंट की चिंता। टेक्निकल आदमी दोनों काम करता है टेक्निकल के साथ-साथ नॉन टेक्निकल भी। परंतु नॉन टेक्निकल स्टाफ केवल नॉन टेक्निकल काम ही करता है।
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